कोमल और कमजोर स्त्रीत्व की उसकी चाह कभी नहीं रही,उसने अपने जन्मदिवस पर ढेर फूल नहीं चाहे,राजसी ऐशो आराम और भड़कीली गाडियों की चाहत नहीं की।स्त्री मुक्ति का अर्थ वह बच्चे से अलग होना वहीं मानती,स्त्री मुक्ति का अर्थ उसके लिये घर से बिखराव नहीं है,स्त्री मुक्ति उसके लिये गुलाम और परेशान पिता से विद्रोह भी नहीं है।वह तो अपने लोगों की छोटी से छोटी आवश्यक्ताएं पूरी करती रही,उनके लिये वह बार-बार अपमानित भी हुई, लेकिन उसने बुरा नहीं माना,हां,आततायी के सामने उसने आंसू बहाने से इंकार कर दिया ।अब न्याय की लंबी लडाई में मारे गए निर्दोषों पर भी वह नहीं रोती।उसकी ...
Tuesday, April 28, 2009
कुछ बच्चे बहुत अच्छे होते हैं
कुछ बच्चे बहुत अच्छे होते हैंवे गेंद और ग़ुब्बारे नहीं मांगतेमिठाई नहीं मांगते ज़िद नहीं करतेऔर मचलते तो हैं ही नहींबड़ों का कहना मानते हैंवे छोटों का भी कहना मानते हैंइतने अच्छे होते हैंइतने अच्छे बच्चों की तलाश में रहते हैं हमऔर मिलते हीउन्हें ले आते हैं घरअक्सरतीस रुपये महीने और खाने पर. .............................नरेश सक्सेना कृत सा ...