हडप्पा की लिपि की तरह अब तक नहीं पढी जा सकी मौन की भाषा…पानी सा रंगहीन नहीं होता मौनआवाज़ की तरहइसके भी होते हैं हज़ार रंगबही के पन्नों पर लगा अंगूठाएकलव्य का ही नहीं होता हमेशाआलीशान इमारतों के दरवाज़ों परसलाम करते हांथों मेंनफ़रत का दरिया होता है अक्सरपलता रहता है नासूर साघर की अभेद दीवारों के भीतर एक औरत के सीने मेंपसर जाता है शब्दों के बीचनिर्वात साऔर सोख लेता है सारा जीवनद्रव्यउतना निःशब्द नहीं होता मौनउतना मासूम और शालीनजितना कि सुनाई देता है अक्सर अशोक कुमार पाण्डेय कृत सा ...
Wednesday, June 24, 2009
Monday, June 8, 2009
कविता समय
कविता , ओ कविता!मुझे मालूम है कि तू न तो मेरी प्रेमिका हैन पत्नी या रखैलमाँ, बहन या बेटी .........तू तो कुछ भी नहीं है मेरीमुझे तो यहाँ तक भी नहीं पता हैकि तुझे मेरे होने का अहसास है भी या नहींफिर भी , मुझे कोई फर्क नहीं पड़ताकि तू क्या सोचती है मेरे बारे मेंया कुछ सोचती भी है या नहींलेकिन जब कोई मनचला करता है शरारत तेरे साथमेरा जी जलता हैजब कोई गढ़ता है सिद्धांतकि नहीं है जरुरत दुनिया को कविता कीतो जी करता हैबजाऊँ उसके कान के नीचे जोर का तमाचाओ कविता !तेरे बगैर दुनिया मेंआदमजात इन्सान रहेंगेप्यार को अलगा पाएगा इन्सानपशुवृत्ति सम्भोग सेशब्दों की ...