मैंने कई बार कि है कोशिश छोटू को मारने कि कई बार मारता हूँ उसे मंत्री कि गाडी के नीचे पर छोटू है कि मरता ही नहीं बस शक्ल बदल लेता है अपनी मारा है मैंने उसे कई बार कभी मंत्रालय के सामने कभी भूख से कभी ठंढ से पर वो मरता नहीं है उसे मारने का दावा करते है कई बुद्धिजीवी और इस देश के महान नेता पर मै देखता हूँ उसेअक्सर उन्ही बुद्धिजीविओं के साथ उसी चाय कि दुकान पर जहाँ अक्सर किये जाते है वादे उसे मारने के पर वो है कि मरता ही नहीं शक्लें बदल लेता है अपनी कभी तौफ़िक़ तो कभी रमुआ बनकर शायद वो अमर हो गया है कि खरीद लिया है उसने उसे मारने वाले सब लोगों को ...