Featured Posts

Followers

सिविल सेवा परीक्षा संबंधी

भारतेन्दु हरिश्चंद

1.सब गुरूजन को बुरो बतावै
अपनी खिचड़ी अलग पकावै,
भीतर तत्व न झूठी तेजी
क्यों सखि सज्जन नहिं अँगरेजी.
2.
तीन बुलाए तेरह आवै
निज निज बिपता रोई सुनावै,
आँखौ फूटे भरा न पेट
क्यों सखि सज्जन नहिं ग्रैजुएट.
3.
सुंदर बानी कहि समुझावै
बिधवागन सों नेह बढ़ावै,
दयानिधान परम गुन-सागर
सखि सज्जन नहिं विद्यासागर.
4.
सीटी देकर पास बुलावै
रूपया ले तो निकट बिठावै,
ले भागै मोहि खेलहि खेल
क्यों सखि सज्ज्न नहिं सखि रेल.
5.
धन लेकर कुछ काम न आव
ऊँची नीची राह दिखाव,
समय पड़ै पर सीधै गुंगी
क्यों सखि सज्ज्न नहिं सखि चुंगी.
6.
रूप दिखावत सरबस लूटै
फंदे मैं जो पड़ै न छूटै,
कपट कटारी जिय मैं हुलिस
क्यों सखि सज्ज्न नहिं सखि पुलिस.
7.
भीतर भीतर सब रस चूसै
हँसि हँसि कै तन मन धन मूसै,
जाहिर बातन मैं अति तेज
क्यों सखि सज्जन नहिं अँगरेज.
8.
एक गरभ मैं सौ सौ पूत
जनमावै ऐसा मजबूत,
करै खटाखट काम सयाना
सखि सज्जन नहिं छापाखाना.
9.
नई नई नित तान सुनावै
अपने जाल में जगत फँसावै,
नित नित हमैं करै बल-सून
क्यों सखि सज्जन नहिं कानून.
10.
इनकी उनकी खिदमत करो
रूपया देते देते मरो,
तब आवै मोहिं करन खराब
क्यों सखि सज्जन नहिं खिताब.
11.
मूँह जब लागै तब नहिं छूटै
जाति मान धन सब कुछ लूटै,
पागल करि मोहिं करै खराब
क्यों सखि सज्जन नहिं सराब.

तमस Online

Pages

Thursday, August 7, 2008

राजेश जोशी की कुछ पंक्तियाँ


सबसे बड़ा अपराध है इस समय
निहत्थे और निरपराध होना
जो अपराधी नहीं होंगे
मारे जायेंगे.

*****

जब तक मैं एक अपील लिखता हूँ
आग लग चुकी होती है सारे शहर में
हिज्जे ठीक करता हूँ जब तक अपील के
कर्फ्यू का ऐलान करती घूमने लगती है गाड़ी
अपील छपने जाती है जबतक प्रेस में
दुकानें जल चुकी होती हैं
मारे जा चुके होते हैं लोग
छपकर जबतक आती है अपील
अपील की ज़रूरत ख़त्म हो चुकी होती है.

*****

स्वर्ग में सबसे खतरनाक चीज़ है
कल्पवृक्ष
कहा जाता है कि मन उठते ही कोई भी इच्छा
पूरी कर डालता है वह तत्काल
लोगों का कहना है
स्वर्ग में समृद्धि है बहुत
मगर ऊब वहाँ भी किसी का पीछा नहीं छोड़ती.

*****

कई बार जब बाज़ार चीज़ों से लद जाते हैं
समाज में पैदा होने लगते हैं
नए-नए उपद्रव
चीज़ें एक दिन इतनी ताकतवर हो जाती हैं
कि बनती जाती है इनकी स्वतंत्र सत्ता
तब आदमी नहीं, चीज़ें तय करने लगती हैं
आदमी का भाग्य.

*****

यह समय सूचनाओं का समय है
सूचनाओं में तब्दील हो रहा है ज्ञान
यहाँ तक कि
सच भी अब सिर्फ़ एक सूचना है.

*****

बदल जायें, बदल जायें लोगों के चेहरे
जब वे मेरी कविता में आयें
हीरे की तरह चमकती हुई दिखें लोगों की
बहुत छोटी-छोटी अच्छाइयाँ
कि आत्महत्या करता आदमी पलटकर लौट पड़े
जीवन की ओर चिल्लाता हुआ
कुछ नहीं है जीवन से ज़्यादा सुन्दर
जीवन से प्यारा जीवन की तरह अमर.

*****

सबको चकमा देकर एक रात
मैं किसी स्वप्न की पीठ पर बैठकर उड़ जाऊँगा

*****

मकान मालिक परेशान है
और आंगन में टहल रहा है, देख रहा है
पीपल और बड़ा हो गया है
पूजा के लिए उसके आसपास
इकट्ठे होने लगे हैं
मोहल्ले के लोग
मकान एक सार्वजनिक स्थल बनता जा रहा है
पर वह किसी को भी
रोक नहीं पा रहा है
क्योंकि यह धर्म के विरूद्ध है.

*****

वह टालेगा समकालीनों पर
नहीं देगा अपनी राय
विदेशी कवियों के बारे में बतियाएगा
हरवक्त.

*****

चीन की एक नीति कथा कहती है
कि दाँत इसलिए गिर जाते हैं
कि वे सख़्त होते हैं
कि जीभ नरम होती है इसलिए
बनी रहती है उम्र भर.

*****

तुमने देखा है कभी
बेटी के जाने के बाद का कोई घर?
जैसे बिना चिड़ियों की सुबह
जैसे बिना तारों का आकाश
बेटी इतनी एक-सी होती है
कि एक बेटी में दिखती है दूसरे को अपनी
बेटी की शक्ल.

*****

जैसे-जैसे बढ़ती जाती है उम्र
छोटी हो रही है उम्र
देहरी पर खड़ा जाने आने को होता है कोई स्वप्न
कि आधी रात अधबीच ही खुल जाती है नींद
जो मेरी नींद में आने को ही निकला था वो स्वप्न
न जाने कहाँ किन सड़कों पर भटक रहा होगा इस वक्त.

*****

चाँद ने जाने क्या कहा झरने से
कि झरना हँसा रात भर
रात भर सारी घाटी में गूँजी
उसकी हँसी.

0 comments